आधुनिकीकरण स्कीाम

यह एक मॉडल स्‍कीम है जिसके द्वारा विभाग प्रशासनिक सुधार की समस्‍त प्रक्रिया को प्रोत्‍साहित/उत्‍प्रेरक प्रभाव प्रदान करने के लिए दिल्‍ली शहर स्थित लाभार्थी मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों को प्रारंभिक धनराशि उपलब्‍ध कराते हुए प्रायोगिक आधार पर एक नमूना आधुनिक कार्यालय का सृजन कराने का प्रयास करता है।  यह स्‍कीम वर्ष 1987-88 से चालू है तथा 31.3.2016 तक विभाग ने 446 आधुनिकीकरण प्रस्‍तावों के लिए 66.00 करोड़ रू. की निधियां निर्मुक्‍त की हैं।  पिछले पांच वर्षों के दौरान मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों को निर्मुक्‍त की गई निधियों का ब्‍यौरा परिशिष्‍ट में दिया गया है।

आधुनिकीकरण स्‍कीम के कार्यान्‍वयन के लिए दिशा निर्देश-2015

1.    प्रस्‍तावना

1.1   प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग वर्ष 1987-88 से सरकारी कार्यालयों के आधुनिकीकरण की योजनागत स्‍कीम का कार्यान्‍वयन कर रहा है।  इस स्‍कीम में कार्यालयों के आधुनिकीकरण के लिए एकीकृत और समग्र आयोजना पर बल दिया गया है ताकि सरकारी कार्यकरण में दक्षता और प्रभावकारिता को प्रोत्‍साहित किया जा सके।  इस प्रकार की आयोजना में कम से कम एक दशक तक की भावी अपेक्षाओं का अनुमान होना चाहिए।  हालांकि इसका कार्यान्‍वयन चरणों में किया जा सकता है।

1.2   इस स्‍कीम के अंतर्गत मंत्रालयों/विभागों से आधुनिकीकरण के संबंध में एकीकृत और समग्र प्रस्‍तावों को तैयार करने तथा इसके अंतर्गत वित्‍तपोषण हेतु चिह्नित कार्यालयों/एककों की प्राथमिकता बनाने और इसे निर्धारित प्रपत्र में इस विभाग को अग्रेषित करने को कहा जाता है।

2.    लक्ष्‍य और उद्देश्‍य :

2.1   इस स्‍कीम का लक्ष्‍य समग्र प्रक्रिया को अपनाते हुए कार्य परिवेश में सुधार करना है तथा कार्यालय परिसरों के लिए प्रकार्यात्‍मक रूपरेखा को तीव्र गति से शुरू करना एवं बेहतर पर्यवेक्षण, लोक शिकायत निवारण तथा आम जन के लिए बेहतर सेवा को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए खुले कार्यालयों का त्‍वरित सृजन तथा आधुनिक कार्य स्‍थलों का शीघ्र सृजन जिसमें कम्‍प्‍यूटरों, एलएएन वायरों, प्रिंटर केबलों, टेलीफोन, डाटा पोर्टल आदि के साथ कागजी कार्य के लिए स्‍थान हो और त्‍वरित कुशल फाइल प्रबंधन और अत्‍यंत किफायती तथा रिकार्ड प्रबंधन के लिए पर्याप्‍त स्‍थान बनाना है।

2     इस स्‍कीम का आशय एक मॉडल के रूप में कार्य करना तथा आधुनिकीकरण के संबंध में मंत्रालयों/विभागों के स्‍वयं के प्रयासों से उनकी जरूरतों को सहायता देना है।

3     आयोजना :

      आधुनिकीकरण की आयोजना करते समय संपूर्ण मंत्रालय/विभाग की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखा जाए और तदनुसार मास्‍टर प्‍लान तैयार किया जाए।  इस आयोजना में प्रस्‍तावित अपेक्षाओं जैसे कि सूचना और कागज प्रवाह, लोगों का चलना-फिरना, भंडारण और फाइलों की पुन प्राप्ति में सुधार,  कंप्‍यूटरों के लिए जगह, एलएएन, इंटरनेट और इंटरकॉम वायरिंग आदि को ध्‍यान में रखे जाने की आवश्‍यकता है।  इसमें सुविधाओं के भावी उन्‍नयन की व्‍यवस्‍था करने की भी आवश्‍यकता है।

4.    रीति :

इस स्‍कीम के अंतर्गत प्राप्‍त प्रस्‍तावों की छानबीन समिति द्वारा जांच की जाती है जिसकी अध्‍यक्षता अपर सचिव, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा की जाती है तथा इसमें नीति आयोग (पूर्ववर्ती योजना आयोग – पीएएमडी प्रभाग), राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, एकीकृत वित्‍त प्रभाग, कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय सदस्‍य है तथा निदेशक अथवा उप सचिव, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग समिति के सदस्‍य सचिव हैं।

5.    मूल दिशानिर्देश :

5.1   यह स्‍कीम भारत सरकार तक सीमित है। इस स्‍कीम के अंतर्गत केवल दिल्‍ली स्थित मुख्‍य मंत्रालयों/विभागों, संबद्ध कार्यालयों और सांविधिक निकायों पर ही विचार किया जाएगा।  दिल्‍ली के बाहर स्थित फील्‍ड कार्यालयों, नए कार्यालय, प्रशिक्षण संस्‍थान, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, पंजीकृत सोसायटियां, स्‍वायत्‍त निकाय आदि इस स्‍कीम के अंतर्गत नहीं आते हैं।

5.2   ऐसे एककों के प्रस्‍ताव जहां लोक संपर्क होते हैं, को मंत्रालयों/विभागों के अन्‍य एककों से वरीयता दी जाएगी।

5.3   मंत्रालयों/विभागों जिन्‍होंने पूर्व में इस स्‍कीम का लाभ प्राप्‍त नहीं किया है, से प्राप्‍त प्रस्‍तावों को प्राथमिकता दी जाएगी।

5.4   प्रस्‍तावों को इस स्‍कीम के लक्ष्‍यों और उद्देश्‍यों में यथावर्णित शर्तों को पूरा करना आवश्‍यक है।  संबंधित मंत्रालय/विभाग द्वारा प्रस्‍ताव के अनुमानित लागत का कम से कम 25 प्रतिशत उपलब्‍ध कराए जाने की आवश्‍यकता है।

5.5   प्रस्‍ताव में कंप्‍यूटर और कंप्‍यूटर संबंधित उपकरण कवर नहीं होने चाहिए जब तक कि वे रिकार्ड रख-रखाव के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए समग्र प्रस्‍ताव का भाग हो तथा कंप्‍यूटर हार्डवेयर केवल पूरे प्रस्‍ताव का एक भाग हो।  जहां तक संभव हो मंत्रालय/विभाग को प्रस्‍ताव के इस भाग का वित्‍त पोषण पूर्ववर्ती योजना आयोग के प्रधान सलाहकार की ओर से सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिवों को संबोधित दिनांक 24 अप्रैल 1998 के अर्ध शा. पत्र सं एच-11016/32/97-पीसी द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अंतर्गत प्रयास करना चाहिए जिसमें सिफारिश की गई है कि सूचना प्रौद्योगिकी के संवर्धन के प्रयोजनार्थ निधि का 2 से 3 प्रतिशत व्‍यय किया जाना चाहिए। तथापि कंप्‍यूटर हार्डवेयर से संबंधित ऐसे प्रस्‍तावों को शामिल किए जाने की स्थिति में उन्‍हें योजनागत निधियों और सूचना प्रौद्योगिकी के संवर्धन हेतु पृथक राशि का ब्‍यौरा देना चाहिए जिस पर राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की टिप्‍पणियों सहित वित्‍त सलाहकार द्वारा विधिवत पुष्टि की गई हो।

5.6   आधुनिकीकरण के लिए प्रयुक्‍त की जाने वाली सभी सामग्रियां सरल और कार्यशील एवं किफायती होनी चाहिए।

5.7   प्रस्‍ताव सामान्‍य वित्‍तीय नियमावली, 2005 के अनुसार तैयार किया जाना चाहिए।  (इस स्‍कीम के अंतर्गत प्रस्‍ताव में परिकल्पित विद्युत और सिविल कार्य को मूल कार्य के रूप में माना जाना है जैसा कि सामान्‍य वित्‍तीय नियमावली, 2005 के नियम 123 में परिभाषित किया गया है।)

5.8   इस प्रकार के कार्य की अनुमानित लागत पर निर्भर होते हुए सामान्‍य वित्‍तीय नियमावली, 2005 के नियम 126 और नियम 132 का कड़ाईपूर्वक अनुपालन किया जाना चाहिए।

5.9   फर्नीचर और अन्‍य उपस्‍करों का प्रापण यदि प्रस्‍ताव में शामिल किया जाता है, भंडारण की खरीद से संबंधित अनुदेशों द्वारा शासित होंगी जैसा कि सामान्‍य वित्‍तीय नियमावली, 2005 के अध्‍याय-6 (वस्‍तु और सेवा का प्रापण) में उल्लिखित है ।

5.10  प्रस्‍ताव में भवन के बुनियादी ढांचे में किसी प्रकार के बदलाव शामिल नहीं होना चाहिए।  विद्युत लोड में किसी प्रकार की बढ़ोतरी को संबंधित प्राधिकारियों के परामर्श से किया जाना चाहिए।

5.11  प्रस्‍तावों को संबंधित मंत्रालय/विभाग के वित्‍त सलाहकार का अनुमोदन प्राप्‍त होना चाहिए।

5.12  प्रस्‍ताव तैयार करते समय यह सुनिश्चित करने का ध्‍यान रखना चाहिए कि बेहतर कार्यालय समन्‍वय और पर्यवेक्षण के प्रयोजनार्थ रूपरेखा योजना में अवर सचिव/वरिष्‍ठ विश्‍लेषक/उप निदेशक जैसे शाखा अधिकारियों तथा अनुभाग में कार्मिकों की अवस्थिति नजदीक हों।

6.    रूपरेखा योजना पर आधारित फर्नीचर आदि के लिए प्रस्‍तावों संबंधी दिशा निर्देश

6.1   फर्नीचर की मदों के लिए प्रस्‍ताव अधिकारियों के विभिन्‍न स्‍तरों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित स्‍थान के पात्रता के अनुरूप होना चाहिए तथा समायोजित किए जाने वाले अधिकारियों के पदनाम सहित उनकी संख्‍या को दर्शाने वाला विवरण लगा होना चाहिए। 

6.2   प्रस्‍ताव में फर्नीचर की प्रत्‍येक मद की संख्‍या, उनकी वर्तमान उपलब्‍धता तथा प्रति यूनिट लागत का स्‍पष्‍ट रूप से उल्‍लेख होना चाहिए जो जीएफआर, 2005 के प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए । कोडल औपचारिकताओं का अनुपालन करने के पश्‍चात् फर्नीचर के अर्जन की रीति का निर्णय मंत्रालयों विभागों पर छोड़ दिया जाएगा।  

6.3   प्रापण किए जाने वाले फर्नीचर लकड़ी आधारित नहीं होना चाहिए।  इसके बदले पर्यावरण अनुकूल और अग्निरोधी सामग्री का प्रयोग किया जा सकता है।

6.4   मंत्रालय/विभाग कार्यकारी एजेंसी के परामर्श से यह सुनिश्चित करेंगे कि सिविल और विद्युत कार्यों दोनों में फिटिंग के तौर पर मानकीकृत और आईएसआई अंकित उत्‍तम गुणवता की सामग्री का प्रयोग किया जाए।

7.    उपस्‍करों की मांग से संबंधित प्रस्‍तावों के लिए दिशानिर्देश :

7.1   उपस्‍करों की मांग संबंधी प्रस्‍तावों को समग्र प्रस्‍ताव को भाग होना चाहिए तथा यह घटक प्रस्‍ताव की राशि के 25 प्रतिशत से अनधिक होना चाहिए।  इस प्रकार के उपस्‍करों की खरीद सामान्‍य वित्‍तीय नियमावली, 2005 के अध्‍याय-6 (वस्‍तु और सेवा प्रापण) के अनुसार की जानी चाहिए।

7.2   प्रस्‍ताव में वीसीआर, वीडियो कैमरा, टीवी सेट, वीसीडी, इलेक्‍ट्रानिक टाइपराइटर, टेलीफोन लाइन आदि जैसे मदें नहीं होंगी।

7.3   उपस्‍कर की मांग संबंधी प्रस्‍तावों के समर्थन में लागत-लाभ विवरण, गति और कुशलता लाभ, प्रति वर्ष निपटान किए जा रहे कार्यभार, उनकी वर्तमान उपलब्‍धता और मंत्रालय/विभाग में उपयोग तथा संबंधित कार्यकारी से प्राप्‍त कोटेशन संलग्‍न होंगे।   इस संबंध में प्रस्‍ताव –

(क)   फैक्‍स मशीन पर केवल तभी विचार किया जाएगा यदि विभाग को कई फील्‍ड/क्षेत्रीय कार्यालय के साथ कार्य करना होता है।  प्रस्‍ताव का एसटीडी सुविधाओं तथा मौजूदा फैक्‍स सुविधाओं की उपलब्‍धता के आधार पर औचित्‍य ठहराया जा सकता है।

(ख)   रिसोग्राफ, प्रिंटर और कोलेटर पर तभी विचार किया जाएगा यदि विभाग नियमित आधार पर व्‍यापक स्‍तर पर दोहराव के कार्य में लगा हो।

(ग)    ईपीएबीएक्‍स पर तभी विचार किया जाएगा यदि विभाग ने कतिपय डायरेक्‍ट टेलीफोन लाइनों को अभ्‍यर्पित कर दिया हो।

(घ)    फोटोकापियर पर तभी विचार किया जाएगा यदि उनकी मौजूदा संख्‍या विभाग में संयुक्‍त सचिव और उससे ऊपर के स्‍तर के अधिकारियों की संख्‍या से कम हो।

(ड.)   पेपर श्रेडर पर तभी विचार किया जाएगा यदि विभाग को बहुत भारी मात्रा में गोपनीय/गुप्‍त कागजातों का निपटान करना होता है।

(च)   ओवरहेड प्रोजेक्‍टर, स्‍लाइड प्रोजेक्‍टर, वीडियो प्रोजेक्‍शन प्रणालियों आदि पर तभी विचार किया जाएगा यदि विभाग में नियमित आधार पर प्रस्‍तुतीकरण दिया जाना अपेक्षित होता है और यदि उन्‍हें पहले नहीं खरीदा गया हो।

(छ)   एयर कंडीशनर्स, शौचालयों सहित स्‍वच्‍छता हेतु सिविल कार्य, जलपान गृह/रसोई आदि को वर्ष 2012 में इस विभाग के सहयोग से सीपीडब्‍ल्‍यूडी द्वारा निर्धारित दरों और मानकों को पूरा करना चाहिए।

8.    कार्यान्‍वयन

8.1   मंत्रालयों/विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जहां तक व्‍यवहार्य हो आधुनिकीकरण स्‍कीम के अंतर्गत निष्‍पादित परियोजनाओं के वास्‍तविक पैरामीटरों में नीचे दर्शाए गए अनुसार, एकरूपता हो :-

-     पार्टिशन की ऊंचाई

-     भंडार स्‍थान

-     फाइल अलमारी का डिजाइन

-     कुर्सी का डिजाइन

-     रोशनी (सीएफएल)

-     आने-जाने की जगह

-     वातायन व्‍यवस्‍था

सिविल कार्य और फर्नीचर कार्य के लिए जांच बिन्‍दुओं की सूची सीपीडब्‍ल्‍यूडी द्वारा निर्धारित किया जाना अपेक्षित है।  आधुनिकीकरण स्‍कीम के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों की एकरूपता बनाए रखने के लिए प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने सीपीडब्‍ल्‍यूडी के परामर्श से सितम्‍बर, 2012 को आधुनिकीकरण स्‍कीम के अंतर्गत अधिग्रहित की जाने वाली सामग्री/निष्‍पादित किए जाने वाले कार्यों के मानक और दर निर्धारित कर दिए गए थे।

8.2   मंत्रालयों/विभागों को परियोजनाओं के निष्‍पादन को मानीटर करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिजाइन तथा वास्‍तविक निष्‍पादन के बीच कोई अंतर नहीं हो।  कार्य निष्‍पादन एजेंसी अथवा प्रयोक्‍ता मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रस्‍तुत किए जा रहे उपयोगिता प्रमाणपत्रों के अलावा, एक कार्य समापन प्रमाणपत्र भी प्रस्‍तुत किया जाना होगा जिसमें प्रमाणित किया गया हो कि अनुमोदित योजना और डिजाइन के अनुसार कार्य किया गया।

9.    कार्य निष्‍पादन के पश्‍चात्

9.1   मंत्रालय/विभाग प्रयोक्‍ताओं को नई सुविधाओं को सावधानीपूर्वक संचालन करने के लिए अवगत कराएंगे।  आधुनिकीकरण योजना के कार्यान्‍वयन के तत्‍काल बाद फाइलों की पुर्नव्‍यवस्‍था, उचित सूचना प्रवाह तंत्र , कंप्‍यूटरीकरण और एलएएन आदि की स्‍थापना की व्‍यवस्‍था की जानी चाहिए ताकि अधिकतम लाभ सुनिश्चित हो सके।

9.2   मंत्रालयों/विभागों को सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके आधुनिकीकृत कार्यालयों का समुचित रख-रखाव किया जाए।

9.3   मंत्रालय/विभाग अपने आधुनिकीकृत एककों के लिए आईएसओ प्रमाणपत्र प्राप्‍त करने पर विचार कर सकते हैं।  इससे प्रयोक्‍ता मंत्रालयों/विभागों में आधुनिकीकृत एककों के समुचित रख-रखाव और उत्‍तम प्रथाओं का मानकीकरण सुनिश्चित होगा।

10.   अन्‍य दिशा निर्देश:

10.1  प्रत्‍येक प्रस्‍ताव की दस प्रतियां विहित प्रपत्र में विधिवत् रूप से भरे गए जिसके साथ वित्‍तीय सलाहकारों के अनुमोदन को दर्शाने वाले नोट हो, मौजूदा तथा संशोधित रूपरेखा योजना जिसमें योजना तैयार करने वाली एजेंसी को प्रदर्शित किया गया हो, की प्रति तथा प्रापण किए जाने वाले मदों के संबंध में जीएफआर, 2005 के उपबंध के अनुसार प्राप्‍त कोटेशन की प्रति भेजी जानी है।  इस प्रस्‍ताव के साथ बैठने की व्‍यवस्‍था की संशोधित योजना तथा एक लेख की उन्‍नत सुविधाओं से किस प्रकार प्रयोक्‍ता लाभान्वित होंगे, लगा होना चाहिए।  (प्रपत्र का क्रम सं 5.2 देखें)

10.2  निधियां चरणबद्ध तरीके से, वर्ष वार जारी की जाएगी जो कार्यान्‍वयन की प्रगति पर निर्भर है। इस स्‍कीम के अंतर्गत आवंटित निधियों का उपयोग आवंटन के वित्‍तीय वर्ष के प्रचलन के दौरान किया जाना है । परियोजना निष्‍पादन रिपोर्ट और मंत्रालयों/विभागों को हो रहे आधुनिकीकरण के लाभों के साथ निधियों के उपयोग का प्रमाण-पत्र नियमानुसार प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत वि๡भाग (ओ एंड एम प्रभाग) को भेजी जाना है। 

10.3  आधुनिकीकरण कराने वाले मंत्रालय/विभाग एककों के पूर्व के और आधुनिकीकरण के बाद के फोटो चित्र प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग को भेजेंगे।

10.4  मंत्रालय/विभाग परियोजना के समापन के एक माह के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्‍तुत करेंगे ।

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