नागरिक चार्टर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

नागरिक चार्टर भारतीय अनुभव 

मूल अवधारणा, उद्भव और सिद्धांत

संपूर्ण विश्व  में यह सर्व स्वीकृत तथ्य  है कि आर्थिक और सामाजिक दोनों के स्थायी विकास के लिए सुशासन अनिवार्य है । सुशासन में तीन अनिवार्य पहलुओं पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रशासन की प्रतिक्रियाशीलता पर बल दिया गया है । नागरिक चार्टर उन समस्याओं का समाधान करने का एक प्रयास है जिनका सामना लोक सेवाएं प्रदान करने वाले संगठनों से संपर्क करते हुए दिन-प्रति दिन नागरिक को करना पड़ता है ।

       नागरिक चार्टर की अवधारणा सेवा प्रदाता और इसके प्रयोक्ता के मध्य विश्वास स्थापित करना है । उक्त अवधारणा सर्वप्रथम यूनाइटेड किंगडम की जान मेजर की कंजर्वेटिव सरकार में वर्ष 1991 में मूर्त रूप में आई और एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में कार्यान्वित की गई जिसका सामान्‍य लक्ष्य था : देश के लोगों के लिए लोक सेवाओं की गुणवता में निरंतर सुधार करना ताकि यह सेवाएं प्रयोक्ताओं की आवश्यकताओं और इच्छाओं के अनुरूप बन  सके । इस कार्यक्रम को वर्ष 1998 में टोनी ब्लेयर की लेबर सरकार ने सर्विस फर्स्ट नाम से पुन: आरंभ किया ।

       नागरिक चार्टर का मूल उद्देश्य लोक सेवा प्रदायगी के संदर्भ में नागरिक को सशक्त बनाना है । नागरिक चार्टर आंदोलन में मूल रूप से छह सिद्धांत तैयार किए गए थे (i) गुणवत्ता :सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना, (ii) विकल्प  : जहां कहीं संभव हो; (iii) मानक : बताएं कि क्या  प्रत्याशा है तथा किस प्रकार प्रतिक्रिया करे, यदि मानक पूरे नहीं हों; (iv) मूल्य; करदाताओं के धन के संदर्भ में; (v) जवाबदेही : वैयक्तिक और संगठन तथा पारदर्शिता : नियमावली/प्रक्रियाएं/स्कीमें/शिकायत । इन्हें लेबर सरकार ने बाद में सेवा प्रदायगी के निम्नलिखित नौ सिद्धांतों के रूप में विस्तारित किया (1998) : सेवा का मानक निर्धारित करना;उदार होना और पूरी सूचना देना; परामर्श करना तथा सहभागी बनाना; पहुंच को प्रोत्साहित करना व विकल्प को बढ़ावा देना; सभी के साथ निष्प‍क्षता का व्यवहार; अव्यवस्था होने पर प्रणाली को व्यवस्थित करना; संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग; नवाचार और सुधार; अन्य  प्रदाताओं के साथ कार्य करना ।

अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य

यूके की नागरिक चार्टर पहल ने विश्व में व्यापक रुचि जगाई और अनेक देशों ने समान कार्यक्रम जैसे कि आस्ट्रेलिया (सेवा चार्टर 1997), बेल्जियम (लोक सेवा प्रयोक्ता चार्टर 1992), कनाडा (सेवा मानक पहल, 1995), फ्रांस (सेवा चार्टर, 1992) भारत (नागरिक चार्टर, 1997), जमैका (नागरिक चार्टर 1994), मलेशिया (ग्राहक चार्टर 1993), पुर्तगाल (द क्वालिटी चार्टर इन पब्लिक सर्विसेज, 1993) और स्पेन(द क्वालिटी ओवजरवेटरी, 1992), (ओईसीडी 1996) लागू किए ।

       इनमें से कतिपय पहल यूके मॉडल के अनुरूप है जबकि अन्यों ने संपूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन (टीक्यूएम) आंदोलन की सेवा गुणवत्ता आदर्श के अनुरूप नए आधार तैयार किए । कुछ अन्य पहल ने दोनों के बीच का मार्ग अपनाया । यहां तक कि यूके में भी अगला कदम/सरकारी पहल के आधुनिकीकरण के संबंध में, नागरिक चार्टर ने लोक सेवा प्रदायगी के संदर्भ में सेवा की गुणवता का रूप धारण कर लिया । लोक सेवाओं में सुधार करने के लिए अपनाए गए गुणवता साधन में बिजनेस एक्सीलेंस मॉडल, इन्वेर्स्टस इन पीपुल,चार्टर मार्क, आईएसओ 9000 तथा बेस्ट वैल्यू (यूके सरकार, 1999) शामिल हैं ।

       मलेशिया सरकार ने नागरिक चार्टर तैयार करने और लागू करने में सरकारी एजेंसियों की सहायता करने के लिए वर्ष 1993 में ग्राहक चार्टर संबंधी दिशानिर्देश जारी किए जो निर्दिष्ट  गुणवत्ता मानकों के अनुसार परिणाम अथवा सेवाओं की प्रदायगी की लिखित प्रतिबद्धता है (मलेशिया सरकार, 1998) । सर्वश्रेष्ठ  ग्राहक चार्टर पुरस्कार वर्ष 1993 में शुरू की गई थी । नागरिक चार्टर की मलेशियाई प्रणाली यूके मॉडल का अनुसरण करती है । एजेंसी-व्यापी और यूनिट चार्टर के मध्य विभेद है । सर्विस रिकवरीकी अवधारणा में व्यवधान आ जाने की स्थिति पर ग्राहक के विश्वा‍स और भरोसे को बहाल करने के लिए सक्रिय तरीके से कार्रवाई करने की व्यवस्था है ।

       आस्ट्रेलिया राष्ट्रमंडल सरकार ने वर्ष 1997 में अपनी सेवा चार्टर पहल शुरू की जो कि सरकारी संगठनों को नौकरशाही प्रक्रियाओं से उपभोक्ता केंद्रित परिणाम को अपनाते हुए आस्ट्रेलियाई समुदाय को एजेंसियों द्वारा प्रदत्त सेवा की गुणवता में सुधार करने की मौजूदा प्रतिबद्धता का भाग है । सेवा चार्टर बदलाव को बढ़ावा देने तथा संगठन को प्रदत्त सेवा पर केंद्रित करने, कार्य निष्पादन मापना तथा आकलन एवं कार्य निष्पादन में सुधार करने का मजबूत साधन माना जाता है । एजेंसियों के लिए लक्ष्य उपलब्ध कराते हुए चार्टर वहां प्रतिस्पर्धा के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है, जहां कोई प्रतिस्पर्धा विद्यमान नहीं है । (वित्त एवं प्रशासन विभाग, 1999) सेंटरलिंक एकल विपणन केंद्र है जो छह मिलियन से अधिक उपभोक्ताओं को आस्ट्रेलियाई सरकारी सेवाओं तक पहुंच उपलब्ध कराता है । सेंटरलिंक ने एक-एक व्यक्ति सेवाको सेवा प्रदायगी के नवीन और व्यक्तिगत दृष्टिकोण के रूप में अपनाया   है । एक-एक व्यक्ति सेवाउपभोक्ताओं से आदरपूर्वक और सुसंगत व्यवहार करती है तथा सरकारी कार्य व्यवहार से जटिलता को समाप्त कर देती है । 

       कनाडा सचिवालय कोष बोर्ड ने यूनाइटेड किंगडम के नागरिक चार्टर से प्रेरणा लेते हुए वर्ष 1995 में सेवा मानक पहल शुरू की, किंतु इसके कार्य क्षेत्र में व्यापक विस्तार  किया । कनाडा में यह सेवा मानक पहल नागरिक की मैत्रीपूर्ण, सम्मानजनक और सौहार्द्रपूर्ण सेवा अपेक्षाएं; तीव्र प्रतिक्रिया समय; सरकारी कार्यालयों का विस्तारित समय और एकल विपणन केंद्र के पृष्ठभूमि में शुरू की गई । संसाधनों के अधिक कुशल उपयोग के माध्यम से घाटे को कम करने तथा पैसे का मूल्य उपलब्ध कराने की जरूरत थी । (कनाडा कोष बोर्ड, 1995)

       इन चार प्रमुख नागरिक चार्टर पहल की तुलना यह दर्शाती है कि इनमें सेवा गुणवत्ता का दृष्टिकोण विभिन्न मात्राओं में निहित था । एक बार लोक सेवा नागरिक केंद्रिक बनाने का निर्णय लेने पर संपूर्ण गुणवता प्रबंधन की विविधता उपभोक्ता केंद्रित होने से दूर नहीं रह सकती । वास्तव में नागरिक चार्टर दृष्टिकोण में अनेक बातें संपूर्ण गुणवता प्रबंधन के समान है । दोनों की शुरूआत उपभोक्ता/नागरिक की अपेक्षाओं को पूरा करने को ध्यान रखते हुए हुई । अन्य मुख्य समान घटक मानक अनुरूपता,स्टेकहोल्डर सहभागिता तथा सतत सुधार हैं ।

 

 

भारतीय परिदृश्य

भारत में कई वर्षों से आर्थिक विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है । इसके साथ ही साक्षरता दर (विगत दशक में 51.63%से 65.38% तक) में पर्याप्त वृद्धि ने भारतीय नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति अत्यधिक जागरूक बनाया है । नागरिक और अधिक मुखर हो गए हैं तथा प्रशासन से न केवल उनकी मांगों को मात्र पूरा करने बल्कि उनका अनुमान लगने की भी आशा रखते हैं । इस परिवेश में वर्ष 1996 में प्रभावी और प्रतिक्रियाशील प्रशासन के संबंध में सरकार में सर्वसम्मति बनी । प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 24 मई, 1997 को नई दिल्ली में आयोजित विभिन्न राज्यों /संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में केंद्र और राज्य स्तर में ‘’प्रभावी और प्रतिक्रियाशील सरकार हेतु कार्य योजना’’ अपनाई गई । इस सम्मेलन का एक प्रमुख निर्णय  यह था कि केंद्र और राज्य सरकारें बहुत अधिक जन संपर्क वाले क्षेत्रों (रेलवे, दूरसंचार, डाक, सार्वजनिक वितरण प्रणाली) से आरंभ करते हुए नागरिक चार्टर तैयार करेंगे । इन चार्टरों में सेवा मानक और समय-सीमा जो आम जन तर्कसंगत ढंग से अपेक्षा करे, शिकायत निवारण के अवसर और नागरिक व उपभोक्ता समूह की भागीदारी से स्वतंत्र जांच का प्रावधान शामिल करना अपेक्षित था ।

       प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने भारत सरकार में नागरिक चार्टर के समन्वय, प्रारुपण और लागू कराने का कार्य आरंभ किया । चार्टर तैयार करने संबंधी दिशानिर्देश और  क्या करे और क्या नहीं करेकी सूची विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों को सूचित की गई ताकि वे केंद्रित और प्रभावी चार्टर तैयार करने में सक्षम हो सके । चार्टर तैयार करने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारी एजेंसियों को प्रयोक्ता के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ प्रबंधन और अग्रणी स्टाफ के साथ एक कार्यबल गठित करने की सलाह दी गई ।

       चार्टरों में निम्नलिखित अवयव समाहित करने की प्रत्याशा की जाती है  (i) विजन व मिशन वक्तव्य‍; (ii) संगठन द्वारा किए गए कारोबार के ब्यौरे; (iii) ग्राहकों के ब्यौरे; (iv) प्रत्येक ग्राहक समूह को उपलब्ध कराई गई सेवाओं के ब्यौरे; (v) शिकायत निवारण तंत्र तथा उस तक पहुंचने के ब्यौरे; (vi) ग्राहकों से प्रत्याशाएं ।

       प्राथमिक रूप में यूके मॉडल के अनुकूलन के लिए भारतीय नागरिक चार्टर में ग्राहकों की आशाओं या अन्य शब्दों  में प्रयोक्ताओं के दायित्वों का एक अतिरिक्त  घटक है । नागरिक चार्टर तैयार करने में उपभोक्ता संगठनों, नागरिक समूहों और अन्य हितधारकों को शामिल करना सुनिश्चित करने के लिए बल दिया जाता है कि नागरिक चार्टर प्रयोक्ता की आवश्यकताएं पूरी करें । चार्टरों की आन्तरिक स्तर और बाहरी एजेंसियों दोनों के माध्यम से नियमित मॉनीटरिंग, समीक्षा और मूल्यांकन की व्यवस्था  की जाती है । मार्च, 2017 की स्थिति के अनुसार केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संगठनों द्वारा 107 नागरिक चार्टर बनाए गए थे तथा 629 चार्टर राज्य  सरकारों और संघ राज्य‍ क्षेत्र प्रशासनों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा बनाए गए थे ।  नागरिक चार्टरों वाले संगठनों को प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों और जागरूकता अभियानों जैसे साधनों के माध्यम से अपने चार्टरों का प्रचार करने की सलाह दी जाती है ।

 

नागरिक चार्टरों की व्यापक वेबसाइट

       भारत सरकार में नागरिक चार्टर की एक व्यापक वेबसाइट तैयार की गई तथा यह प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा 31 मार्च, 2002 को लांच की गई थी । इसमें केन्द्र  सरकार के विभिन्न  मंत्रालयों/विभागों/संगठनों द्वारा जारी नागरिक चार्टर शामिल हैं । वेबसाइट उपयोगी सूचना, आकड़े और लिंक उपलब्ध करवाती है ।

नागरिक चार्टर का अनुकरणीय कार्यान्वयन

       हालांकि, नागरिक चार्टर पर सरकार के समग्र प्रयास और पहल जारी हैं फिर भी यह महसूस किया गया कि सरकार के बड़े सार्वजनिक जनसंपर्क वाले क्षेत्र में चार्टर का अनुकरणीय कार्यान्वयन न केवल निष्क्रिय अफसरशाही में नई अवधारणा स्थापित करेगा बल्कि, अन्यी क्षेत्रों में अनुकरण के लिए रोल मॉडल के रूप में भी काम करेगा । आर्थिक सुधारों के दूसरे चरण के दृष्टिगत इस प्रयोजन के लिए और इस तथ्य से कि यह क्षेत्र उपभोक्ता सेवा के मामले में उचित रूप से विकसित है, बैंकिंग क्षेत्र की पहचान की गई थी, और विभिन्न प्रक्रियाओं को गति देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का भी लाभ लिया गया था । इस प्रयोग का मूल उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र को नागरिक चार्टर के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता के मॉडल के रूप में बनाना था । इसकी शुरूआत के साथ डीएआरपीजी द्वारा वर्ष 2000 में सीधे प्रयोग के लिए राष्ट्रीय स्तर के तीन बैंकों नामत: पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एण्ड सिंध बैंक और ऑरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स का चयन किया गया था । नागरिक चार्टर के अनुकरणीय कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों का विशेष उल्लेख किया गया था – (i) नागरिक चार्टर के निर्माण में हितधारक संबद्धता; (ii) बैंकों में स्टाफ के पूरे जुड़ाव, विशेष रूप से जनता से सीधे संपर्क में रहने वाले स्टाफ से नागरिक चार्टरों का प्रदर्शन;  (iii) बैंकों के ग्राहकों के बीच चार्टर के प्रति जागरूकता उत्पन्न; और (iv) नागरिक चार्टर की अवधारणा व कार्यान्वयन के विषय में सभी स्तरों पर कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण । 

       पहचान किए गए बैंकों द्वारा स्वतंत्र एजेंसियों के माध्यम से चार्टरों की वर्तमान स्थिति के मूल्यांकन के बाद कमियां सुधारने के लिए कार्रवाई योजनाएं बनाई गईं । तद्नुसार चार्टर संशोधित किए गए और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा तैयार किए गए आदर्श/मूल चार्टर के आधार पर मानकीकृत किए गए । प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के परामर्श से तैयार मॉड्यूल का उपयोग करते हुए राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान द्वारा प्रशिक्षित मुख्य प्रशिक्षकों के माध्यम से चुनिन्दा  शाखाओं के कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया गया । नागरिक चार्टर के व्यापक प्रचार के लिए अनेक उपाय भी शुरू किए गए ।

       इस प्रयोग के उद्देश्य और प्रत्यक्ष कार्य के लिखित प्रमाण के लिए भी इन बैंकों के नागरिक चार्टर के कार्यान्वयन के दोबारा निर्धारण और मूल्यांकन के लिए एक बाहरी एजेंसी नियुक्त की गई ।  राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान को यह कार्य सौंपा गया जो तब से इसका निष्पादन करता रहा था और वर्ष 2003 में एक दस्तावेज प्रकाशित किया गया था ।

 

 

नागरिक चार्टर का मूल्यांकन

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग तथा गैर-सरकारी संगठन उपभोक्ता  समन्वयन परिषद, नई दिल्ली  द्वारा अक्तूबर, 1998 में विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए नागरिक चार्टरों का मूल्यांकन किया गया । भारत में इस पहल के उदीयमान स्तर को देखते हुए परिणाम नितान्त उत्साहवर्धक   थे । सभी मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों को संक्षिप्त‍ प्रश्नावली परिचालित की गई है ताकि उन्हें  अपने नागरिक चार्टरों का स्था‍नीय स्तर पर मूल्यांकन शुरू करने में समर्थ बनाया जा सके । संगठनों को भी गैर-सरकारी संगठनों को प्राथमिकता देते हुए इनके जरिए बाहरी मूल्यांकन कराने का परामर्श दिया गया     है ।

वर्ष 2002-03 के दौरान प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने नागरिक चार्टर का आन्तरिक व बाहरी मूल्यांकन अधिक प्रभावी, परिणामपरक और वास्तविक तरीके से करने के लिए मानकीकृत मॉडल तैयार करने हेतु पेशेवर एजेन्सी नियुक्ति की । इस एजेन्सी  ने केन्द्र  सरकार के 5 संगठनों और आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र  व उत्तर प्रदेश राज्य सरकारों के 15 विभागों/संगठनों के चार्टरों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन भी किया । इस एजेन्सी से संगठन के भीतर और प्रयोक्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए विधियां सुझाने और चार्टर के निरूपण व प्रदर्शन के काम में स्टाफ और प्रबंधन के अनुकूलन के लिए संभावित विधियां सुझाना अपेक्षित था ।

एजेन्सी  द्वारा बनाई गई रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख निष्कर्ष थे :-

(i)            अधिकांश मामलों में चार्टर परामर्शक प्रक्रिया के जरिए नहीं बनाए गए; 

(ii)          कुल मिलाकर सेवा प्रदाता चार्टर के तत्व-ज्ञान, लक्ष्यों  व मुख्य विशेषताओं से परिचित नहीं है;

(iii)         किसी भी विभाग में चार्टर को पर्याप्त प्रचार नहीं दिया गया था । अधिकांश विभागों में  चार्टर कार्यान्वयन के केवल आरंभिक या मध्यम स्तर पर ही है;

 (iv)       चार्टर के विभिन्न घटकों पर स्टाफ के अनुकूलन के लिए अथवा नागरिक चार्टर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कोई निधि विशेष रूप से निर्धारित नहीं की गई है ।  

       अन्य बातों के साथ-साथ मुख्य सिफारिशों में शामिल हैं :- (i) चार्टर-निरूपण के प्रत्येक स्तर पर नागरिकों व स्टाफ के परामर्श किया जाना आवश्यक, (ii) चार्टर की मुख्य  विशेषताओं और उद्देश्यों/लक्ष्यों  के प्रति स्टाफ का अनुकूलन, विभाग का दृष्टिकोण व मिशन-विवरण तथा दल-निर्माण, समस्या-समाधान, शिकायतों का निपटान और संपर्क-कौशल जैसे कौशलों का अनुकूलन,  (iii)  उपभोक्ता-शिकायतों और उनके निवारण के आंकड़े तैयार करने की आवश्यकता, (iv) प्रिंट मीडिया, पोस्टर, बैनर, लीफ्लैट्स, हैण्डबिल, ब्रॉशर, स्थानीय समाचार पत्रों तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के भी माध्यम से चार्टर का व्यापक प्रचार किए जाने की आवश्यकता, (v) जागरूकता बढ़ाने और स्टाफ के अनुकूलन के लिए विशेष बजट-निर्धारण और (Vi) इस क्षेत्र में अच्छे प्रयोग को दोहराना ।

 

 

भारत सरकार के नागरिक चार्टर का संग्रह

नागरिकों के साथ-साथ अपने नागरिक चार्टरों में प्रतिष्ठापित विभिन्न संगठनों की प्रतिबद्धताओं पर कार्य कर रहे सरकारी अधिकारियों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने 14 मई, 2003 को भारत सरकार के सभी नागरिक चार्टरों के संक्षिप्त पाठों के सारांश का पुस्तक के साथ-साथ सीडी के रूप में प्रकाशन किया । इस सार-संग्रह में जैसेकि  नागरिक चार्टरों में प्रतिबद्धता व्यक्त  की गई, क्रियात्मक मानक और उपलब्ध कराई जाने वाली प्रस्तावित सेवाओं की गुणवत्ता तथा लोक शिकायत निवारण तंत्र भी हैं । सार-संग्रह में केन्द्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के नागरिक चार्टरों के नोडल अधिकारियों के नाम, पते, दूरभाष नम्बरर, ई-मेल एड्रेस के साथ-साथ संबंधित मंत्रालयों/विभाग/संगठन की वेबसाइटों की सूची भी है ।

       यह संकलन न केवल नागरिकों के सुलभ संदर्भ के लिए उपयोगी होगा वरन् यह उन्हें  इन संगठनों के कार्यकरण की गहन जांच करने में भी सक्षम बनाएगा। यह संगठनों को उनके द्वारा निर्धारित मानकों की अन्य संगठनों के निर्धारित मानकों से तुलना करने में सहायक होगा ।

क्षेत्रीय सेमिनार

गैर सरकारी संगठनों, प्रबुद्ध वर्ग, मीडिया आदि सहित अन्य स्टेकहॉल्डरों के साथ राष्ट्रीय और राज्य स्तर के संगठनों को एक मंच पर लाने और नागरिक चार्टर के निरूपण एवं कार्यान्वयन के अनुभव साझा करने की दृष्टि से वर्ष 2001-02 के दौरान नागरिक चार्टर पर चार क्षेत्रीय सेमिनार आयोजित किए गए थे । ये सेमिनार एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया, हैदराबाद, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी, आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल और असम एडमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ कॉलेज, गुवाहाटी में आयोजित किए गए थे । इन सभी में 24 राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन तथा 15 केन्द्रीय सरकार विभागों/संगठनों ने भाग लिया ।

क्षमता निर्माण कार्यशाला

इन सेमिनारों में प्राप्त  फीडबैक और अनुभव के आधार पर (i) चार्टर के निरूपण; (ii) चार्टर के प्रभावी कार्यान्वयन एवं (iii) राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों/केन्द्रीय सिविल सेवा स्टाफ कॉलेजों में मौजूद प्रशिक्षकों की क्षमता बढ़ाना, पर विशिष्ट ध्यान केन्द्रित करते हुए अतिरिक्त क्षमता निर्माण कार्यशालाएं आयोजित करने का निर्णय लिया गया । वर्ष 2002-03 के दौरान, नागरिक चार्टर के निरूपण और कार्यान्वयन पर तीन क्षमता निर्माण कार्यशालाएं लोक प्रशासन संस्थान, शिमला(एचपी), आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी, भोपाल, यशवंत राव चव्हाण विकास प्रशासन प्रबोधनी, पूणे और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित की गईं । इसके अतिरिक्त, नागरिक चार्टर पर प्रशिक्षकों एवं प्रशिक्षण मापदंड विकसित करने के लिए  एक क्षमता निर्माण कार्यशाला भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली में दिसम्बर, 2002 को आयोजित की     गई । इन सभी कार्यशालाओं में 15 राज्‍यों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन और 5 केन्द्रीय सरकारी विभागों/संगठनों ने भाग लिया ।

वर्ष 2003-2004 के दौरान नागरिक चार्टर के निरूपण पर चार क्षमता निर्माण कार्यशालाएं प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, कोलकाता, प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, नैनीताल, ह.च.मा. राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान, जयपुर और प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, मैसूर  में आयोजित की गईं । वर्ष 2003-04 के दौरान प्रशिक्षकों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को विकसित करने के लिए दो क्षमता निर्माण कार्यशालाएं भी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित की गईं ।

वर्ष 2004-05 के दौरान नागरिक चार्टर पर तीन क्षमता निर्माण कार्यशालाएं उत्तरांचल प्रशासन अकादमी, नैनीताल, ह.च.मा. राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान, जयपुर और असम प्रशासनिक स्टॉफ कॉलेज, गुवाहाटी में आयोजित की गईं ।

विभाग-विशिष्ट  कार्यशालाएं

विभाग कर्मचारियों के साथ-साथ आम नागरिकों में जागरूकता लाने तथा  परामर्श प्रक्रिया शुरू करने के दोहरे-उद्देश्य के साथ 1 दिवसीयविशिष्ट कार्यशालाएंभी आयोजित कर रहा है । वर्ष 2002-03 के दौरान 13 विभाग-विशिष्ट कार्यशालाएं झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों  में आयोजित की जा चुकी हैं ।

सूचना एवं सुविधा केन्द्र  (आईएफसी)

सूचना एवं सुविधा केन्द्र  (आईएफसी) चयनित केन्द्रीय सरकारी संगठनों द्वारा नागरिकों को मामलों/आवेदनों के साथ-साथ अपने कार्यक्रमों/स्कीमों, नियमों एवं कार्य पद्धतियों आदि के बारे में सूचना उपलब्ध/ कराने की सुविधा स्थापित की गई है । आईएफसी लोक शिकायतों के निवारण के लिए एक नोडल बिन्दु के रूप में भी कार्य करता है । अतएव, आईएफसी नागरिक चार्टर की भौतिक अभिव्यक्ति है । अत: सभी सरकारी मंत्रालयों/विभागों जहां नागरिक चार्टर है, आईएफसी स्थापना करने का निर्णय लिया गया है । अब तक 105 सूचना एवं सुविधा केन्द्र /क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूं/पूछताछ केन्द्र स्थापित किए गए हैं ।

आईएफसी के कार्यों का मूल्यांकन प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग और उपभोक्ता समन्वयन परिषद द्वारा किया गया था । संबंधित संगठनों ने इन मूल्यांकनों में चिन्ह्ति त्रुटियों पर कार्रवाई की । यह विभाग नियमित रूप से उन सभी संगठनों के लिए जहां आईएफसी स्थापित है, निर्धारित अर्द्ध-वार्षिक विवरणिका के माध्यम से आईएफसी के कार्यों की निगरानी करता है ।

चार्टरों के कार्यान्वयन में आई समस्याएं

       जैसा उल्लेख किया गया है, भारत में नागरिक चार्टर की पहल 1997 में की गई तथा निरुपित चार्टर कार्यान्वयन के प्रारंभिक स्तर पर हैं । किसी भी संगठन के लिए एक नई संकल्पना की शुरूआत करना हमेशा ही कठिन होता है । भारत सरकार में नागरिक चार्टर की संकल्पना की शुरूआत एवं कार्यान्वयन करना पुरानी नौकरशाही व्यवस्था /कार्य पद्धतियों तथा श्रम-बल के सख्त  रवैये के कारण और ज्‍यादा कठिन था । इस पहल में सामने आई प्रमुख बाधाएं इस प्रकार थे :- 

(1)     नागरिक चार्टर तैयार करने वाले संगठनों की सामान्य सोच थी कि चूंकि ऊपर से निदेश है तो प्रयोग में लाना है । परामर्श प्रक्रिया न्यूनतम अथवा नहीं के बराबर थी । इस प्रकार ये संगठनों की नियमित गतिविधियां हो गईं तथा इन पर कोई ध्यान नहीं था ।

(2)     किसी भी चार्टर को सफल बनाने हेतु इसके कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी कर्मचारियों के पास उचित प्रशिक्षण और अनुकूलन होना चाहिए क्योंकि, चार्टर की प्रतिबद्धताएं पूरी करने की उम्मीद ऐसे कार्यबल से नहीं की जा सकती जो चार्टर की भावना और विषय-वस्तु से अनभिज्ञ है । तथापि, अनेक मामलों में संबंधित स्टाफ पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित और सुग्राह्य नहीं था ।

(3)     कभी-कभी संगठन में नागरिक चार्टर के निरुपण/कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण स्तरों पर संबंधित अधिकारियों के स्थानान्तरण व अदला-बदली से कार्यनीतिक प्रक्रिया को अलग-अलग ढंग से क्षति पहुंचती है जिसने इस पहल की प्रगति में बाधा पहुंचाई ।

(4)     ग्राहकों को चार्टर के विषय में जानकारी देने के लिए जागरुकता अभियान व्यवस्थित रूप से नहीं चलाए गए ।

(5)     कुछ मामलों में नागरिक चार्टर में उल्लिखित मानकों/सेवाओं के समय-मानकों में या तो बहुत अधिक ढील दी गई या बहुत अधिक कठोरता बरती गई और इसलिए वे अवास्तविक रहे और चार्टर के ग्राहकों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा ।

(6)     नागरिक चार्टर का विचार सही ढंग से नहीं समझा गया । संगठनों द्वारा नागरिक चार्टर के लिए पूर्व में निर्मित सूचना ब्रॉशरों, प्रचार-सामग्रियों और पेम्फलेट्स में त्रुटियां थीं ।

सीख

नागरिक चार्टर की पहल के कार्यान्वयन से आज तक हुए अनुभव से निम्नलिखित सीख प्राप्त  हुए हैं :

1.     जैसा किसी भी नए प्रयास पर होता है, प्रारंभिक स्तर पर नागरिक चार्टर की पहल को अफसरशाही और नागरिकों द्वारा संदेह से अवश्य देखा जाता है । इस संशयवाद से निकलने के लिए प्रारंभिक स्तर पर भी सभी हितधारकों के बीच प्रभावी जागरुकता अभियान आवश्यक है । ये जागरुकता अभियान नवाचारी रूप में तैयार किए जाने और प्रभावी रूप से चलाए जाने चाहिए ।

2.     नागरिक चार्टर के प्रचालन से स्टाफ और ग्राहकों की मानसिकता रातों-रात नहीं बदलेगी जो समय के एक खण्ड  में बनी है । इसलिए, सोच में बदलाव लाने के लिए नियमित अथवा दृढ़ प्रयास अपेक्षित हैं ।

3.     नई पहल हमेशा बाधाओं व स्टाफ के संदेहों का सामना करती है । बदलाव का विरोध स्वाभाविक है, खासकर अग्रणी स्टाफ के बीच ।  नागरिक चार्टर के निरुपण व कार्यान्वयन के सभी स्तरों पर उन्हें शामिल और उनसे मशविरा करते हुए इस विरोध का समाधान हो सकेगा और यह इस कार्य में उन्हें समान भागीदार बनाएगा ।

4.     एक बार में ही सभी प्रक्रियाओं में सुधार करने तथा व्यापक विरोध का सामना करने की बजाय इसे छोटे- छोटे अवयवों में तोड़ना और उनका एक समय में एक का ही समाधान करने की कोशिश करना  उपयुक्त है ।

5.     अधिमानत: बाहरी एजेंसी के माध्यम से चार्टर के कामकाज की मॉनीटरिंग, मूल्यांकन और समीक्षा के लिए चार्टर की पहल में अंतस्थतंत्र होना चाहिए ।

भावी विजन : चार्टर मार्क का विकास

यूके सरकार ने 1992 में लोक-सेवा में उत्कृष्टता की पहचान और प्रोत्साहन के लिए चार्टर मार्क स्कीम शुरू की थी । चार्टर मार्क प्राप्त करने के लिए संगठन को निम्नलिखित नौ चार्टर मार्क की कसौटी पर उत्कृष्टता दर्शानी है जो लोक सेवा प्रदायगी के सिद्धांतों नामत: (1) कार्य-प्रदर्शन मानक; (2) सूचना एवं खुलापन; (3) विकल्प और परामर्श ; (4) शिष्टाचार व अनुकूलता; (5) चीजों को सही रखना; (6) धन का महत्व; (7) प्रयोक्ता संतुष्टि; (8) सेवा-गुणवत्ता में सुधार और (9) योजनागत सुधार व नवाचारों के अनुरूप हो । मलेशिया सरकार ने भी यूके मॉडल के आधार पर 1993 में बेस्ट क्लाइंट्स चार्टर अवार्डशुरू किया था ।

       भारत में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने उपयुक्त चार्टर मार्क स्कीम विकसित करने के लिए एक पेशेवर एजेंसी की पहचान की है । यह स्कीम चार्टर में अधिसूचित मानकों व प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में लोक सेवा प्रदाता को प्रोत्साहन देगी तथा उसमें सुधार करेगी । जजों के स्वतंत्र पैनल द्वारा मूल्यांकन किए जाने के बाद चार्टर मार्कदिया जाना प्रस्तावित है । यह न केवल चार्टर मार्क प्रदत्त संगठन को उपलब्धि का बोध कराएगा बल्कि, उन विभिन्न संगठनों में प्रतिस्पार्धात्मकता की भावना भी बढ़ाएगा जो नागरिक चार्टर जारी कर चुके हैं और नागरिकों में जागरुकता बढ़ा रहे हैं । पेशेवर एजेंसी द्वारा एक आदर्श बनाया गया है और वह पहचान किए गए विभागों/संगठनों में मान्यकरण की प्रक्रिया में है ।

       नागरिक चार्टर का कार्यान्वयन सतत चलने वाला कार्य  है क्योंकि यह लोक सेवा के क्षेत्र में होने वाले सघन व निरंतर परिवर्तनों को प्रतिबिम्बित करता है । भारतीय सरकार एक प्रभावी व दक्ष तरीके से नागरिक की सेवा का निरंतर प्रयास करती रही है, ताकि न केवल वह उनकी जरूरतें पूरी करे बल्कि,  उनकी आशाओं पर भी खरी उतरे । नागरिक चार्टर की पहल इस दिशा में बड़ा कदम है ।

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