तीसरा सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल, 2008 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया । प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने सिविल सेवा दिवस का शुभारंभ करते हुए यह उल्लेख किया कि सिविल सेवकों को एक नवीन प्रतिबद्धता की आवश्यकता है जो उन्हें समाज के वंचित वर्गों की ओर खड़ा करे । इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने उल्लेख किया कि विभिन्न मुद्दों का समाधान करने के लिए सिविल सेवाओं द्वारा व्यापक प्रक्रिया सुधार किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त, इस विषय को अधिक स्पष्ट करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि अब संसाधनों के प्रभावी लोक प्रबंधन के अलावा प्रदायगी की एक उदार, पारदर्शी और जवाबदेही प्रणाली का सृजन करना एक चुनौती है ।इस शुभारंभ समारोह में अन्यों के अलावा श्री पृथ्वीराज चौहान, राज्य मंत्री कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन तथा श्री ए. राजा, संचार सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने भी भाग लिया । प्रधानमंत्री द्वारा प्रशासन में नवप्रवर्तन पर एक प्रदर्शनी तथा सिविल सेवकों द्वारा लिखे गए पुस्तकों की प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया । इस वर्ष की थीम प्रशासन में नवप्रवर्तन थी । इस अवसर पर एक स्मारिका डाक टिकट भी जारी किया गया ।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा प्रशासन में नवप्रवर्तन के संबंध में संकलित स्पॉलेंडर इन द ग्रास नामक एक पुस्तक का विमोचन किया । इस पुस्तक में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/संघ राज्या क्षेत्रों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा सफलतापूर्वक निष्पादित किए गए विभिन्न नवप्रवर्तनों को कवर किया गया है । भारत सरकार के सचिवगण, मुख्य सचिवगण और अन्य सेवाओं के प्रमुख तथा विभिन्न केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों ने इस पूर्ण दिवसीय विचार-विमर्श में भाग लिया ।
शुभारंभ सत्र के पश्चासत भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा सरकार में निर्णय लेना : लेखा परीक्षा की भूमिका के संबंध में एक वार्ता के साथ तकनीकी सत्र की शुरूआत की गई । इसके पश्चात सिविल सेवा में भर्ती और प्रशिक्षण, सिविल सेवकों का कार्य निष्पादन मूल्यांकन तथा वर्तमान चुनौतियों का सामना करने में सिविल सेवकों की तैयारी के संबंध में तीन समानांतर पैनल विचार-विमर्श आयोजित किए गए ।